देखो रे देखो साथियों,
आया ये कैसा समय.
जो हो गया सो हो गया,
अब जीत लो ये भय.
हो ना शहीद जो युद्ध में,
वह है बड़ा बदकिस्मत.
यह हाँथ-पैर हैं कुछ नहीं,
जो है सो वो है हिम्मत.
कर दो अगर जी जान से,
यह एक बार की खिदमत,
तो यह खुदा भी मान जाए,
अपना जूनून है बेहद!
कट जायेंगे सर भी अगर,
मुड़ने ना पाएं कदम.
चोटें तो खा लेंगे मगर,
पीठों को ना हो भनक.
यह तीर ताकतवर नहीं,
कर ना सका है असर.
इंसान तो मर जायेंगे,
पर हौंसला है अमर.
-रामधारी सिंह 'दिनकर' द्वारा रचित 'रश्मिरथी' से प्रेरित
3 comments:
I enjoy. 'Veer Ras' in any case captures my imagination very much. It never loses relevance in real life. I hope it inspires others equally. Hemingway also said once, "I am an old man who will live until I die."
- Rohit
Dear Bharat, a good attempt in this direction. I think you are fit for studying Indian History, as interest in history fills patriotism in a person. You poem is fit for the occasion, as today is Republic Day. It can be recited in school assembly. Tell it to your other literary friend his comments.
--Shailbala Misra.
gud1!!!!
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