Saturday, January 31, 2015

अरे, कहाँ चले?


Spanish tuitions या football practice?
Timbuktu, Japan, या London-Paris?
Advetising job या filmmaking course?
अगले Einstein या Niels Bohr?

करनी है क्या दुनिया की सैर?
या काम करेंगे, शाम से सेहर?
.1 से आगे या .2 से पीछे?
 कांटे की टक्कर में बारीकी से चूके?

वो सखा याद है जिसने रग कलाम करी थी?
कमज़ोरी के लिबाज़ में कहीं कोई सच तो नहीं छिपा था?
आगे बढ़ने की होड़ में कहीं खो तो नहीं दी,
तरक्की की असली महत्ता?

अरे वाह! आज तो जीत को भी मात दे दी.
कल खुश होने के लिए, त्याग दी वर्त्तमान की ख़ुशी!
जैसे कोई बहरा गाए, शोर से बेफिक्र;
इस दौड़ते युग में, अपाहिज असल विजयी?