देखो रे देखो साथियों,
आया ये कैसा समय.
जो हो गया सो हो गया,
अब जीत लो ये भय.
हो ना शहीद जो युद्ध में,
वह है बड़ा बदकिस्मत.
यह हाँथ-पैर हैं कुछ नहीं,
जो है सो वो है हिम्मत.
कर दो अगर जी जान से,
यह एक बार की खिदमत,
तो यह खुदा भी मान जाए,
अपना जूनून है बेहद!
कट जायेंगे सर भी अगर,
मुड़ने ना पाएं कदम.
चोटें तो खा लेंगे मगर,
पीठों को ना हो भनक.
यह तीर ताकतवर नहीं,
कर ना सका है असर.
इंसान तो मर जायेंगे,
पर हौंसला है अमर.
-रामधारी सिंह 'दिनकर' द्वारा रचित 'रश्मिरथी' से प्रेरित